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Monday, November 30, 2020

 

ख़्वाब और सच्चाई

(A La Kumar Vishwas)



कोई ख़्वाबों में जीता है कोई सपनों को रोता है

कोई आँसू बहाता है तो कोई मुस्कुराता है

ना जाने किस तरह दुनिया का मेला है यहाँ सजता

कभी बिछड़े हुए मिलते कभी कोई छूट जाता है



जो सोचोगे तो समझोगे जो समझोगे तो जानोगे

ज़िंदगी एक फ़ानी है यही हम सबकी कहानी है

तुम्हारे महल चौबारे यहीं रह जाएँगे प्यारे

(This line is copied from My fav poet Shailendraji’s song as a tribute 🙏 )

जो ख़ाली हाथ आया था वो ख़ाली हाथ जाता है



यूँ होता फिर तो क्या होता ये ना सोचो तो अच्छा है

पकड़ के राह तू अपनी चला चल चल, चला चल चल

कभी जो राह में तुझको दिखे ना कारवाँ अपना

अकेला चल चला चल चल कि मंज़िल तुझे बुलाता है



तुम्हारी नस्ल से वाक़िफ़ तुम्हारी जात मैं समझूँ

तुम्हारे पुरकशिश आग़ाज़ का अंजाम भी समझूँ

लिफ़ाफ़ा देखकर ख़त का मज़मून भी समझता हूँ

तुम्हारे बग़ल में छुरी है मुँह मेंराम रहता है



-नारायण गौतम

कलकत्ता, ०२.१०.२०२०

 

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