dreamer

dreamer

Tuesday, August 18, 2015


कहानी

 

तुम धड़कन

मैं आंचल

तुम चाँद

मैं बादल

मैं वक़्त के समंदर का लहर

तुम ठहराव का इक पल

मैं प्यास तुम जल

मैं पहाड़ों का घुमाव

तुम घना-वन शीतल

मैं ठहरा हुआ झील का पानी

तुम कल-कल बहती ज़िंदगानी

चार दिन की जवानी

चार पल की रवानी

 

रूका धड़कन,

ढला आंचल

उफन गया लहर

छलक गया पल,

चारो तरफ केवल जल-जल-जल

सब उथल-पथल

ऐसे ख़तम हुई रवानी

हाए इंसान तेरी यही कहानी I

-नारायण गौतम, कलकत्ता, 7/7/2014 (1 p.m)

 

No comments:

Post a Comment