मौत तू एक कविता है ,मुझसे एक कविता का वादा है
मिलेगी मुझको -डूबती नब्जों में जब दर्द को नींद आने लगे
ज़र्द सा चेहरा लिए चाँद उफक तक पहुंचे
दिन अभी पानी में हो, रात किनारे के क़रीब
न अँधेरा हो, न उजाला हो
न आधी रात , न दिन
जिस्म जब ख़त्म हो और रूह को सांस आए
मुझसे एक कविता का वादा है-मिलेगी मुझको I
...गुलज़ार , फ़िल्म- आनंद
मिलेगी मुझको -डूबती नब्जों में जब दर्द को नींद आने लगे
ज़र्द सा चेहरा लिए चाँद उफक तक पहुंचे
दिन अभी पानी में हो, रात किनारे के क़रीब
न अँधेरा हो, न उजाला हो
न आधी रात , न दिन
जिस्म जब ख़त्म हो और रूह को सांस आए
मुझसे एक कविता का वादा है-मिलेगी मुझको I
...गुलज़ार , फ़िल्म- आनंद